Wednesday, January 31, 2024

A tribute to the father of nation, Mahatma Gandhiji on his death anniversary

Kendriya Vidyalaya Ambassa paid the homage to Mahatma Gandhi ji On his death anniversary on 30th January. A special assembly was organised by the school and the principal, Mr Ajay Pundhir along with all the teachers and students offered the flowers and regard to the image of Mahatma Gandhiji. All the students were motivated to follow the principles taught by Mahatma Gandhi ji.

Kendriya Vidyalaya Ambassa , 29th January 2024

The live streaming of the 7th edition of PPC 2024 was broadcasted on 29 th January from 11 a m. to 1:10 p.m. in which Hon’ble Prime Minister of India interacted with the students, parents and teachers of the country to motivate the students to deal with the exam stress-free and confidently. The students and teachers of KV Ambassa showcased a great enthusiasm and zeal for this momentous event. About 200 students of senior classes, 20 teachers along with the principal and invited parents witnessed the event that was telecasted in the library, the computer lab and the resource room. 
The students thrilly enjoyed it and the programme really boosted their confidence and everyone was grateful to the Hon’ble Prime Minister, Narendra Modi ji.
The Principal, Mr Ajay Pundhir encouraged the students to appear in the exam with confidence.

study material

https://amar786y.blogspot.com/2024/01/class-vi-xi-session-ending-question.html

Sunday, January 28, 2024

study material class 10th and 12th

https://drive.google.com/drive/folders/1TasOsxkuPgHAr2BwrcGXnDn1qwL282-P?usp=drive_linkstudy material

प्रकृति का नियम

हर कोई अपने जीवन में कभी न कभी विकट परिस्थितियों से गुजरता है। ऐसी स्थिति में कुछ व्यक्ति बहुत जल्द ही निराश होने लगते हैं। कुछ व्यक्ति इसे ईश्वर की मर्जी मान लेते हैं। वैसे इंसान जो धैर्य खो देते हैं, उन्हें संकटों का सामना करने में मुश्किल होती है। फिर वे ईश्वर से सवाल करने लगते हैं कि यह जिंदगी ही क्यों दी और जिंदगी दी तो जिंदगी में इतने दुख क्यों दिए। दुख दिए तो दुख का निवारण क्यों नहीं हो रहा है?हमें यह ध्यान रखने की आवश्यकता है कि अगर इस प्रकृति ने हमें जन्म दिया तो हम सभी इस प्रकृति की संतान हैं। इस प्रकृति को सबका ध्यान है। उसको सबका स्वभाव पता है। उसको सबकी क्षमता पता है। उसे यह भी पता है कि किसी को अस्तित्व में बनाए रखने के लिए उसके जीवन में कितना संघर्ष लाना आवश्यक है। अन्यथा व्यक्तिगत स्वभाव या प्रकृति के अनुसार अस्तित्व में बने रहने के लिए उसमें जरूरी क्षमता विकसित नहीं हो पाएगी। ठीक वैसे ही जैसे एक तितली इस दुनिया में आती है। अगर उस तितली के लिए चुनौतीपूर्ण क्षण किसी भी वजह से आसान हो जाए तो वह क्षण उसके लिए बेहतर है, लेकिन उसके बाद की चुनौती वह सह नहीं पाती है। चुनौतियां हमें भविष्य के लिए तैयार करती हैं।ओशो कहते हैं, कि 'अगर बहुत सुरक्षा मिले और कोई संघर्ष न हो तो रीढ़ टूट जाती है। रीढ़ - बनती ही संघर्ष में है। तुम जितना संघर्ष करते हो, उतनी ही तुम्हारी रीढ़ मजबूत होती है।' इसलिए हमें प्रकृति के नियम पर भरोसा रखना होगा। हमें ईश्वर पर भरोसा रखना होगा। वह बस यही चाहते हैं कि हमारा जन्म जिस उद्देश्य के लिए हुआ है हम उस उद्देश्य को पूरा करने के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाएं। हमेशा यह याद रखिए कि जिसके जीवन में अभूतपूर्व संघर्ष आया है, वही अभूतपूर्व सफलता के योग्य बन सकता है। वह उन करोड़ों लोगों से अलग है, जिसने उनकी तुलना में अपेक्षाकृत आसान एवं सुगम जीवन जिया है।*

Saturday, January 27, 2024

#वास्तविक संपदा

*सभी सुविधाओं युक्त भव्य मकान, शानदार वाहन, ऊंची आय, घर-बाहर के लिए सेवादार जैसी चलायमान वस्तुएं व्यक्ति की वास्तविक संपदा नहीं हो सकतीं। अनेक व्यक्ति इन्हें परम लक्ष्य मान कर आजीवन भ्रम और अंततः दुख में जीते हैं। बेचारे नहीं जानते, कालांतर में ये वस्तुएं क्षत- विक्षत हो सकती हैं। धर्म स्थलों के बाहर कटोरा थामे बैठे व्यक्तियों में उन नामी लोगों की संतानें भी हैं जिन्होंने बाह्य उपलब्धियों को सर्वस्व मान कर असल संपदा की अनदेखी की।स्वामी विवेकानंद ने कहा, समस्त परिसंपत्तियां, प्रशस्तियां, अलंकरण आदि छिन जाने पर भी व्यक्ति के पास जो बचा रहता है यानी उसका हौसला, वही मनुष्य की असल संपदा है। हाड़- मांस के आवरण में ढका उसका अमूर्त दैविक स्वरूप ही उसके जीवन को अर्थ देता है। इस संपदा में हमें सुमार्ग पर प्रशस्त रहने में सहभागी भी सम्मिलित हैं। ऐसे व्यक्ति में सतत् जीवंतता और आशा का संचार रहता है जिसके चलते वह चाहे तो समस्त खोया हुआ पुनः प्राप्त कर लेता है। लौकिक लक्ष्यों से अभिप्रेरित होंगे तो जीवन के अहम मूल्य उपेक्षित रह जाएंगे। लौकिक समृद्धि और शक्ति का अप्रिय पक्ष यह है कि इनके किरदारों में अहंकार आ जाता है। वह आत्मीय जनों सहित उन्हें भी कमतर आंकता है जिनकी सदाशयताएं सिद्ध रहीं। अपने पास क्या, कितना है, इसे जानने के स्थान पर लौकिक सुख-समृद्धि के उपासक का ध्यान इसी पर रहता है कि दूसरों के पास क्या-क्या है, जो स्वयं के पास नहीं है। यही चिंता उसे सताती है और उसके दुख का कारण बनती है।झड़ गए पत्तों को देख कर एकबारगी हरे-भरे वृक्ष का महत्व समझ आए या माता-पिता, परिजन के न रहने के पश्चात उनकी अतुल्य भूमिका का अहसास होना दूरदर्शिता नहीं है। जीवन की सार्थकता तब है जब हम स्वयं की सामर्थ्य, आज उपलब्ध साधनों-संबंधों को असल संपदा समझते हुए इनके प्रति कृतज्ञता का भाव संजोए रखें।*

Friday, January 26, 2024

Joyful Celebrations: Highlights from the Republic Day 2023 School Function Under the Guidance of Principal Sir

Under the auspices of Kendriya Vidyalaya Ambassa, the grand celebration of the 75th Happy Republic Day took place with immense joy and patriotic fervor. The program unfolded in the presence of the esteemed Principal Sir, Ajay Pundir, whose leadership added a distinguished touch to the event. Alongside him, various dedicated teachers also graced the occasion, contributing to the spirit of unity and pride that resonated throughout the festivities. The day was marked by the enthusiastic participation of students who celebrated through a medley of songs, vibrant dance performances, and a colorful fancy dress function, showcasing their creativity and cultural diversity.

#Happy Republic Day